मुझे नहीं पता ग़म क्या होता है ,पर ये महसूस हमेशा क्यों होता है 
       पल पल रह रह के इक दर्द सा उठता है इस दिल में 
         
आँखों से मेरी कुछ पानी सा उस वक्त बहता है 
   हर हाल में रहने की मुझे आदत सी न जाने कब  से है मझको 

पर अब जो हाल है इस हाल में रहने में इक डर  सा लगा रहता है 
    मुस्कुराकर तो पहले भी जीना नहीं सीख पाया था में 

पर जो भाव अब चहेरे  पर आते है उनको भी समझ नहीं पाता हूँ 
     जिंदगी पहले भी उदास था में अब  भी उदास हूँ में 
दूर जाना चाहता हूँ तुझसे मगर ना चाहकर भी तेरे पास हूँ में 

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